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Thursday, October 23, 2014

अलग

कब तक देखेगा तू दोष अपने आप में
इस ज़माने से हार कर जीतता नहीं कोई। 
गर मान भी ले तू कि वो सही है और तू गलत
तो क्या छोड़ देंगे वो तुझे तेरे पश्चताप के लिए। 
तू सोंचता है की देंगे तेरी सजा वो तुझे ऐसे
जैसे मुक्त हो जाए तू फिर उनसे सदा के लिए। 
की हिम्मत हीं नहीं उनके अन्दर थी ऐसी कभी
कि वो छोड़ दे तुझे अपने आप पे तुम्हे ए दोस्त।।

उनकी तो हसरत हीं यही की तू हो जा उनसा
कबूल उनकी दुनिया उनका जहाँ उनके खुदा। 
उनकी ये दुनिया है मेरे यार तू बस जान ये कि
गलत तेरा कहना की तू और और तेरी जहाँ और। 
यही तो मुसीबत की जो तू ना कहीं जान जाए
राज की ये बात है कहीं जो ये समझ ना जाए। 
रह लेगा तू उनसे अलग रहता रहा है तू जैसे
देखा कभी जो छोड़े हों वो तुझे भी अकेले वैसे।। 

Monday, October 13, 2014

तेरे आंसू

मेरे आँखों से आंसू निकलता हीं नहीं
कुछ भी हो बात ये दिल रोता हीं नहीं
ऐसा भी नहीं की नहीं दर्द इसके अन्दर
पर ये समंदर बाहर निकलता हीं नहीं

Tuesday, August 26, 2014

दोस्त

यार आज एक दोस्त ने जब ऐसा बोला
की  लगता नहीं तुझसे बात करता हूँ
तेरी तो ये आवाज़ हीं बदल गयी है
तू है कौन कि तू ये ऐसा बोलता कैसे है

अरे यारो सीखा तेरी महफ़िल में हीं मैंने
ये बात की तू बोल खुल के जो बोलना है
और अगर तू बोल हीं ना पाए
मेरे साथ तो तू दोस्त कैसा है

और अगर हम तुम्हारे दोस्त हैं
तो ये दुनिया दोस्त है
तो मैंने कहीं ना कही
वो बातें बोलनी शुरू कर दी और

कर लिया तेरे बातों पे भरोसा हमने
तो छोड़ दिया खुद को रोकना हमने
और देख क्या बात हुई ये बड़ी मजेदार
लगता नहीं अब तू भी रहा अपना यार

Friday, August 22, 2014

हकीकत

ये जो हकीकत है वही तो फ़साना है
की अब तो तेरी बातो पे जमाना है
वही जाना है जहाँ से आना है
तो फिर ऐसा भी क्या अफसाना है

Friday, July 4, 2014

तेरे लिए

मैंने हकीकत को फ़साने से मिटाने क़ी ठानी है
लो आज फिर मैंने शराब पीने की ठानी है
पीना पाप है और जानता हूँ रूठ जाओगी तुम
पर एक बार फिर से मैंने तुम्हे मानाने की ठानी है

Tuesday, July 1, 2014

उसका दरबार

क्यों तुझे खुद से कोई प्यार नहीं
क्यों ख़ुशी के लिए तू बेकरार नहीं
अगर बुलाया नहीं तुझे उसने प्यार ने
तो सोंच भला आया कैसे तू संसार में।।

तुम्ही दूर भागते थे उसके संसार से
अभी भी बुलाता तुझे वह प्यार से
एक बार देख तो जरा ऐतबार से
ऐसा भी क्या डरना उसके संसार से।।  

सब हमेशा रहें हैं उसीके अधिकार में 
एक बार फिर पड़ उसके प्यार में
की तैयार खड़ा वो तेरे इंतजार में
सुना है देर नहीं उसके दरबार में ।। 

Sunday, June 29, 2014

शिकायत

चलो आज मैं अपने दर्द का बयान करता हूँ 
मेरी जो तुमसे शिकायत है वो खुलेआम करता हूँ 
जो तू ये सोंचता था कि तू तोड़ता है गुरूर मेरा
देख तू अपने पैरों पे खड़ा रहने का ये शुरुर मेरा
तेरे से लड़ के जीतू इतना तो इकबाल नहीं मेरा
पर जिंदा हूँ अभी भी ये बुलंद खयालात है मेरा
भेज और जितने अवतारों को तू भेजता है यहाँ
तेरे पैगम्बरों से लड़ने में हीं तो रहा है वज़ूद मेरा  

Saturday, June 28, 2014

निमेष

तुम इससे ज्यादा और क्या जानना चाहते हो कि
क्या पुछा था तुमने कि ये क्या कैसा इंसान हूँ मैं
नहीं बोला था उस वक़्त मैंने कुछ भी और क्या बोलता
क्या बोलता कि नहीं बन पाया हूँ मैं इंसान अब तक
और अब तो जैसा भी हूँ जो हूँ कि बस निमेश हूँ
खुद भी तो नहीं तो बोल पाता हूँ कि निमेष हूँ मैं

Friday, June 27, 2014

चाहत

ऐसा भी तो नहीं की कोई अफ़सोस नहीं मुझे
फिर भी क्यों किसी बात का होश नही मुझे

जो ये देखता रहता हूँ मैं हरदम दोष तुझमे
क्यों ना खुद हीं कुछ करूँ कोई जोश मुझमे

लो आई है तमन्ना कि अब भुला दूं तुझे
पर फिर बुला लेगा तू सैंकड़ो बहाने हैं तेरे

 

Friday, May 30, 2014

नादान

मैं सोंचता था की मैंने खत्म कर दिया था वो हिस्सा
जहाँ से किसी को किसी के प्यार का एहसास होता है
मैं सोंचता था की मैंने कुचल डाली हैं वो सारी इच्छाएं
जो किसी को बस हो जाती है किसी और के लिए
मैं सोंचता था की तुम तो नहीं छु पाओगी मुझे वैसे
जैसे कभी और पहले किसी और ने कभी छुआ था मुझे
अकेला था तब भी मैं और अब और भी ज्यादा हूँ
माँगा ना तब भी तुझे और ना अब हीं मांगता हूँ
अब लगता है जैसे ये एक जूनून सा बन गया है
पहले जो डर था अब एक घर सा बन गया है
सच पूछो अब चाहता ही नहीं की कभी मिटे ये दर्द
इस दर्द के एहसास से एक प्यार सा हो गया है
इससे पहले की मिटे ये दर्द चाहता हूँ तू फिर आये
और जख्म जो भर सा रहा है जरा फिर दे दे
ख़ुशी के लिए मेरे जो तू करता रहता है इतने सितम।
थकता नहीं क्यूं तू फिर भी सोंचता रहता हूँ मैं हरदम।।

तू

सवाल यह नहीं है की उदास है तू
क्यों हरेक बात पे यूँ चुपचाप है तू
तू बोलता था ऐसे की आवाज़ है तू
जैसे कि हर सवाल का जवाब है तू

कहाँ है तेरे वो जो उबलते हुए तूफान थे
हरेक बात पे वो तेरे जो बेबाक बयान थे
डरता तो तब भी तू था उन अरमानो से
पर था तू बड़ा बेजिझक कई जमानो से