StatCounter

Tuesday, August 26, 2014

दोस्त

यार आज एक दोस्त ने जब ऐसा बोला
की  लगता नहीं तुझसे बात करता हूँ
तेरी तो ये आवाज़ हीं बदल गयी है
तू है कौन कि तू ये ऐसा बोलता कैसे है

अरे यारो सीखा तेरी महफ़िल में हीं मैंने
ये बात की तू बोल खुल के जो बोलना है
और अगर तू बोल हीं ना पाए
मेरे साथ तो तू दोस्त कैसा है

और अगर हम तुम्हारे दोस्त हैं
तो ये दुनिया दोस्त है
तो मैंने कहीं ना कही
वो बातें बोलनी शुरू कर दी और

कर लिया तेरे बातों पे भरोसा हमने
तो छोड़ दिया खुद को रोकना हमने
और देख क्या बात हुई ये बड़ी मजेदार
लगता नहीं अब तू भी रहा अपना यार

Friday, August 22, 2014

हकीकत

ये जो हकीकत है वही तो फ़साना है
की अब तो तेरी बातो पे जमाना है
वही जाना है जहाँ से आना है
तो फिर ऐसा भी क्या अफसाना है