कब तक देखेगा तू दोष अपने आप में
इस ज़माने से हार कर जीतता नहीं कोई।
इस ज़माने से हार कर जीतता नहीं कोई।
गर मान भी ले तू कि वो सही है और तू गलत
तो क्या छोड़ देंगे वो तुझे तेरे पश्चताप के लिए।
तो क्या छोड़ देंगे वो तुझे तेरे पश्चताप के लिए।
तू सोंचता है की देंगे तेरी सजा वो तुझे ऐसे
जैसे मुक्त हो जाए तू फिर उनसे सदा के लिए।
जैसे मुक्त हो जाए तू फिर उनसे सदा के लिए।
की हिम्मत हीं नहीं उनके अन्दर थी ऐसी कभी
कि वो छोड़ दे तुझे अपने आप पे तुम्हे ए दोस्त।।
कि वो छोड़ दे तुझे अपने आप पे तुम्हे ए दोस्त।।
उनकी तो हसरत हीं यही की तू हो जा उनसा
कबूल उनकी दुनिया उनका जहाँ उनके खुदा।
कबूल उनकी दुनिया उनका जहाँ उनके खुदा।
उनकी ये दुनिया है मेरे यार तू बस जान ये कि
गलत तेरा कहना की तू और और तेरी जहाँ और।
गलत तेरा कहना की तू और और तेरी जहाँ और।
यही तो मुसीबत की जो तू ना कहीं जान जाए
राज की ये बात है कहीं जो ये समझ ना जाए।
राज की ये बात है कहीं जो ये समझ ना जाए।
रह लेगा तू उनसे अलग रहता रहा है तू जैसे
देखा कभी जो छोड़े हों वो तुझे भी अकेले वैसे।।
देखा कभी जो छोड़े हों वो तुझे भी अकेले वैसे।।