मैंने हकीकत को फ़साने से मिटाने क़ी ठानी है लो आज फिर मैंने शराब पीने की ठानी है पीना पाप है और जानता हूँ रूठ जाओगी तुम पर एक बार फिर से मैंने तुम्हे मानाने की ठानी है
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