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Friday, May 30, 2014

नादान

मैं सोंचता था की मैंने खत्म कर दिया था वो हिस्सा
जहाँ से किसी को किसी के प्यार का एहसास होता है
मैं सोंचता था की मैंने कुचल डाली हैं वो सारी इच्छाएं
जो किसी को बस हो जाती है किसी और के लिए
मैं सोंचता था की तुम तो नहीं छु पाओगी मुझे वैसे
जैसे कभी और पहले किसी और ने कभी छुआ था मुझे
अकेला था तब भी मैं और अब और भी ज्यादा हूँ
माँगा ना तब भी तुझे और ना अब हीं मांगता हूँ
अब लगता है जैसे ये एक जूनून सा बन गया है
पहले जो डर था अब एक घर सा बन गया है
सच पूछो अब चाहता ही नहीं की कभी मिटे ये दर्द
इस दर्द के एहसास से एक प्यार सा हो गया है
इससे पहले की मिटे ये दर्द चाहता हूँ तू फिर आये
और जख्म जो भर सा रहा है जरा फिर दे दे
ख़ुशी के लिए मेरे जो तू करता रहता है इतने सितम।
थकता नहीं क्यूं तू फिर भी सोंचता रहता हूँ मैं हरदम।।

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