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Friday, June 27, 2014

चाहत

ऐसा भी तो नहीं की कोई अफ़सोस नहीं मुझे
फिर भी क्यों किसी बात का होश नही मुझे

जो ये देखता रहता हूँ मैं हरदम दोष तुझमे
क्यों ना खुद हीं कुछ करूँ कोई जोश मुझमे

लो आई है तमन्ना कि अब भुला दूं तुझे
पर फिर बुला लेगा तू सैंकड़ो बहाने हैं तेरे

 

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