ऐसा भी तो नहीं की कोई अफ़सोस नहीं मुझे फिर भी क्यों किसी बात का होश नही मुझे
जो ये देखता रहता हूँ मैं हरदम दोष तुझमे क्यों ना खुद हीं कुछ करूँ कोई जोश मुझमे
लो आई है तमन्ना कि अब भुला दूं तुझे पर फिर बुला लेगा तू सैंकड़ो बहाने हैं तेरे
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