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Saturday, June 28, 2014

निमेष

तुम इससे ज्यादा और क्या जानना चाहते हो कि
क्या पुछा था तुमने कि ये क्या कैसा इंसान हूँ मैं
नहीं बोला था उस वक़्त मैंने कुछ भी और क्या बोलता
क्या बोलता कि नहीं बन पाया हूँ मैं इंसान अब तक
और अब तो जैसा भी हूँ जो हूँ कि बस निमेश हूँ
खुद भी तो नहीं तो बोल पाता हूँ कि निमेष हूँ मैं

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