सवाल यह नहीं है की उदास है तू
क्यों हरेक बात पे यूँ चुपचाप है तू
तू बोलता था ऐसे की आवाज़ है तू
जैसे कि हर सवाल का जवाब है तू
कहाँ है तेरे वो जो उबलते हुए तूफान थे
हरेक बात पे वो तेरे जो बेबाक बयान थे
डरता तो तब भी तू था उन अरमानो से
पर था तू बड़ा बेजिझक कई जमानो से
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