शोएब अख्तर के करियर की पहली गेंद थी वो सचिन को। तेंदुलकर बस उतरा हीं था। मुझे याद है। मैं शर्मा अंकल के यहाँ था। क्रिकेट खेलते तो थे हीं और सब लोगों की तरह देखता भी था। पांचवी में पढता था तब।
मतलब टीवी में क्रिकेट देखने की समझ आ गयी थी।
घर में टीवी थी मगर ब्लैक एंड वाइट। उनके यहाँ थी कलर टीवी। और कलर टीवी में मैच देखने के लालच में उनके यहाँ चला आया था।
मतलब टीवी में क्रिकेट देखने की समझ आ गयी थी।
घर में टीवी थी मगर ब्लैक एंड वाइट। उनके यहाँ थी कलर टीवी। और कलर टीवी में मैच देखने के लालच में उनके यहाँ चला आया था।
जो लोग जानते हैं, वो तो जानते हीं है कि क्या हुआ। उस पहली हीं गेंद पे सचिन तेंदुलकर क्लीन बोल्ड !!
सब लोग सन्न रह गए। स्टेडियम और घर दोनो जगह,एक बार में सन्नाटा छा गया। बच्चा था, एक बात याद आयी तो, मैं थोडा हल्का मुस्कुरा पड़ा।
थोड़ी देर के बाद शर्मा अंकल भी हँसे और अब पता है की वो तब अपने दुःख को छिपा रहे थे, लेकिन उस वक़्त लगा कि शायद वो सही में हंस रहे हैं।
उन्होंने चिंटू भैया को, जो छठे क्लास में पढ़ते थे, उनको चिढ़ाना शुरू कर दिया...
अरे कभी नहीं जीत पायेंगे ये पाकिस्तान टीम से...
और मैं भी बोल पड़ा...
अल्ताफ भैया भी बोले थे, देखना शोएब पहले बाल पे ले लेगा तेंदुलकर को...
मेरी बात के बाद मुझे लगा थोडा और सन्नाटा छा गया...
तेंदुलकर आउट हो चूका था। माहौल आलरेडी बहुत ग़मगीन था। और तभी शायद खुदा के खैर से हीं, उसी वक़्त दीदी आ गयी बुलाने। और वही लाइन बोली जिसे सुनकर अक्सर सारे हिंदुस्तान के बच्चे दहशत में आ जाते हैं...
चलो पापा बुला रहे हैं...
मैं बाहर निकला और हम घर की तरफ चल दिए।
बिलकुल घर के पास पंहुच कर याद आया क़ि, मामु ने जो एक टोपी दी थी मुझे, जो मैं ले के आया था, वो वहीँ कुर्सी पे छूट गयी थी।
वही लेने के लिए लौटा कि दरवाजे पे सुनता हूँ, पिंटू भैया, जो दसवीं में थे शायद उस वक़्त, जोर-जोर से बोल रहें थे...
साला मियन्डी !!! बच्चा-बच्चा कट्टर होता है इन लोगों का...देखो दो बित्ता का बच्चा का टोपी देखो !!!
आंटी बोली...
अरे जा के टोपिया दे आओ उसका...
हम नहीं छुएंगे टोपी उसका.. जला दो साला टोपी उसका...
मुझे लगा पिंटू भैया कहीं सही में ना जला दे टोपी कि मैने घंटी बजाने के लिए हाँथ बढ़ाया। तभी आंटी फिर बोली...
अरे चिंटू विकेटवा से उठा के उधर कोना में रख दो..अपने आके ले जाएगा...
मैंने घंटी बजायी। दरवाजा खुला और एक बार फिर सन्नाटा छा गया ...
अब अंकल बोले…
अरे आओ बैठो राजा, देखो दो और विकेट गिर गया... केतनो कर लो चिंटू ..नहीं जीत पाओगे पाकिस्तान से!!
पापा बुला रहे हैं अंकल। टोपी छूट गयी थी... मामू लाये थे लखनऊ से...
मैं लौट गया। दिल थोडा भारी लग रहा था। पता नहीं उन बातों को मैं समझा इस कारण या इसलिए कि दो विकेट और गिर गए थे इस कारण...
घर लौटा, तो देखा तो खैर स्कोर वही था...
वैसे सारे बैट्समैन तो जा हीं चुके थे। टीम आल आउट के करीब थी और पापा भी जोर जोर से बोल रहे थे, लेकिन हंस कर नहीं बल्कि थोडा खीज कर....
बुजदिल साले सिर्फ बांग्लादेश के सामने शेर हैं.. तेंदुलकर गया नहीं कि सब बर्बाद। नाम हँसा के रख देतें हैं ये लोग हमेशा। बंद करो टीवी... और कहाँ गए थे राजा... खबरदार जो कहीं दोपहर में बाहर गए हो...वहीँ से मारते मारते लाएंगे...अरे चाय बनाओ...
ख़ीज गुस्से में बदल चुका था... अम्मी चाय बनाने के लिए चली गयी और मैंने कोने से फिर टीवी की और देखा।
अज़हरुद्दीन अभी तक टिका हुआ था। मुझे उस पर भरोसा था...लेकिन वो भी गया 205 पे... और 212 में इंडिया आल आउट...
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