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Saturday, July 18, 2015

मतलब से मतलब

क्या हमारी कोई भाषा है। 
क्या ये भाषा यहाँ पर मेरी होनी चाहिए थी।
क्या हमरी लिखने से उसका मतलब मेरी हो जाता।
क्या आँखों की भाषा होती है 
और अगर होती है
तो क्या उसका भी व्याकरण होता है।
उसका पाणिनि कौन है ?

क्या बकवास है और क्या नहीं
इसका अंतर क्या मतलब से निकलता है।
क्या मतलब के दो मतलब नहीं होते ।
जब हम किसी बात का मतलब निकालते हैं
तो उस वक़्त मतलब का क्या मतलब होता है।
क्या यह एक कविता है जो हम गुनगुना नहीं सकते।

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