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Sunday, June 29, 2014

शिकायत

चलो आज मैं अपने दर्द का बयान करता हूँ 
मेरी जो तुमसे शिकायत है वो खुलेआम करता हूँ 
जो तू ये सोंचता था कि तू तोड़ता है गुरूर मेरा
देख तू अपने पैरों पे खड़ा रहने का ये शुरुर मेरा
तेरे से लड़ के जीतू इतना तो इकबाल नहीं मेरा
पर जिंदा हूँ अभी भी ये बुलंद खयालात है मेरा
भेज और जितने अवतारों को तू भेजता है यहाँ
तेरे पैगम्बरों से लड़ने में हीं तो रहा है वज़ूद मेरा  

Saturday, June 28, 2014

निमेष

तुम इससे ज्यादा और क्या जानना चाहते हो कि
क्या पुछा था तुमने कि ये क्या कैसा इंसान हूँ मैं
नहीं बोला था उस वक़्त मैंने कुछ भी और क्या बोलता
क्या बोलता कि नहीं बन पाया हूँ मैं इंसान अब तक
और अब तो जैसा भी हूँ जो हूँ कि बस निमेश हूँ
खुद भी तो नहीं तो बोल पाता हूँ कि निमेष हूँ मैं

Friday, June 27, 2014

चाहत

ऐसा भी तो नहीं की कोई अफ़सोस नहीं मुझे
फिर भी क्यों किसी बात का होश नही मुझे

जो ये देखता रहता हूँ मैं हरदम दोष तुझमे
क्यों ना खुद हीं कुछ करूँ कोई जोश मुझमे

लो आई है तमन्ना कि अब भुला दूं तुझे
पर फिर बुला लेगा तू सैंकड़ो बहाने हैं तेरे