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Friday, October 20, 2017

खेल

जब मैं घर से बाहर निकला तो मेरा कोई प्लान नहीं था। दिवाली का दूसरा दिन था। अकेले रहने वाले मर्दों के लिए दिवाली एक छुट्टी से ज्यादा कुछ नहीं होता है। अगले दिन भी छुट्टी हीं थी। सिनेमा दोनों जो रिलीज़ हुई थी देख चुका था। टहलते टहलते मैं एक मॉल में आ पंहूँचा।

वहां बहुत देर तक इधर उधर भटकने के बाद मैं एक ब्रा के शोरूम के सामने खड़ा हो गया और डिस्प्ले में लगे हुए ब्रा को देखने लगा। रंग बिरंगे बहुत सारे डिजाईन के ब्रा शो-केस में लगे थे। शोरूम वाले ने बायीं आँख से मुझे देख लिया। पता नहीं क्यों पर मुझे लगा उसने मुझे देखते हुए देख लिया और मुझे लगा उसे ये बात पसंद नहीं आयी।

हालाँकि दिखने में तो मैं कोई ठरकी टाइप नहीं लगता हूँ, बल्कि मुझे तो लगता है ठीक हीं लगता हूँ, पर उसने सोंच लिया कि मैं उसी टाइप हूँ। या शायद लगा मुझे कि उसने ऐसा सोंच लिया।

अब किसे ये अच्छा लगता है कि कोई उसे ठरकी समझे। पता नहीं क्यों मगर मैं दूकानदार से थोड़ा चिढ़ गया। और लगा कुछ किया जाए।

मैंने देखा दूकान में लड़कियां भी सेल्समेन (वुमन बोलते हैं क्या उन्हें!!) हैं। दुकान में ग्राहक के रूप में भी कुछ औरतें और लड़कियां हीं थी। बोर हो रहा था मैं और एजेंडा मिल गया था मुझे आज का। बस मैं अब दूकानदार से नज़रे मिलने का इंतज़ार करने लगा।

नज़रें मिली तो एक बार मैंने हटा ली। कोने से देख लिया अब वो मुझसे पूरा चिढ़ चूका था। अगली बार नज़र मिली और मैंने मुस्कुरा दिया। इससे पहले कि वो कुछ करता मैं दूकान के अंदर था।

मेरे अंदर आते हीं दूकानदार छूटते हीं मेरे पास आ गया और आँखों से हीं बिल्कुल टरकाने वाले लिहाज़ से पूछा कि अगर मुझे खरीदना है!!

उसके बदतमीज़ी की सीमा बढ़ रही थी। फिर भी बिना कोई भाव प्रदर्शित किए मैं बोला...

आपसे प्राइवेट में एक बात बोलनी थी...

अब थोड़ा असमंजस में आने की बारी दूकानदार की थी। मैंने बोला..

घबराइये नहीं मैं कोई टैक्स अफसर नहीं हूँ...

अरे अरे सर कोई बात नहीं!! हमारा तो पूरा बिलिंग होता है। बोलिये क्या करूँ मैं आपके लिए...

मैंने कहा ...

थोड़ा साइड में आएंगे....

दुकान के दरवाज़े के पास कोने में उसे ले आया और उसके कंधे पे हाथ रखकर बहुत धीरे से बोला....

मुझे अपने बॉयफ्रेंड के लिए कुछ अंडरगार्मेंट लेने थे...
हं हं....शायद ठीक से सुना नहीं उसने।

उसे थोड़ा और करीब लेके मैंने बोला...

जी मेरे बॉयफ्रेंड के लिए....

अब तो दूकानदार थोड़ा चकराया।

मतलब...

हाथ हटा लिया मैंने। लेकिन कान के पास हीं फिर धीरे से बोला....

मतलब तो सर आप समझ हीं गए होंगे। टीवी तो आप देखते हीं होंगे। फिर देख के आप उतने पुराने जमाने टाइप वाले लगते नहीं है...

ह्म्म्म मतलब क्या आप ....

जी सर। आप तो समझते हीं होंगे छोटे शहरों में बड़ी मुश्किल होती है। वो ट्राइ करने नहीं देते हैं। बल्कि अब तो ये मॉल खुल गया है, लेकिन यहाँ भी आने से पहले मैं थोड़ा झिझक हीं रहा था। वो तो अभी भी यहाँ आने से डर रहा है।

चुकी इस बात में बीच में मैंने जम के अंग्रेजी बोल दी थी तो अब वो थोड़ा रिलैक्स हो गया। छोटे शहर के सारे लोग अपने आपको बम्बई से कम का समझतें नहीं है। और गे वाला कूल एंगल तो ला हीं दिया था मैने। वो मुस्करा कर बोला...

अरे सर कोई बात नहीं, बुलाइये ना उनको। आराम से जो ट्राइ करना चाहे कर सकते हैं। यहीं मॉल में हैं क्या वो। बुला लीजिये उन्हें...

हां अभी तो यहीं था सामने वाले शॉप में, एक मिनट...

और मैं सामने देखने लगा। ब्रा के दूकान पे तो सारे मर्दों की नज़र जाती हीं है।

किस्मत अच्छी थी। ठीक सामने एक परफेक्ट चश्मा वाला आदमी दिख गया। उसकी नज़र शोकेस के बाद हम पर पड़ी। उसने देख लिया कि हमने उसे देखते हुए देख लिया है। वो थोड़ा झेप गया। मैं मुस्कराया। फिर दूकान वाले से बोला...

अभी एक मिनट में आता हूँ। आप थोड़ा पॉजिटिव वाइब दे दीजियेगा। देखिये वो देख भी नहीं रहा है हमारी तरफ।

दुकानदार पूरे गिरफ्त में था। उसने बोला...

अरे आप आराम से आइये...

मैंने बोला...

आप बोले तो जब और ग्राहक नहीं हो तभी आऊँगा।
उसने बोला...

कोई बात नहीं सर मैं अपने पर्सनल अंदर वाले रूम में ट्राइ करा दूंगा।

परफेक्ट!!

मैं दूकान से बाहर निकला और उस आदमी को आधे एस्कलेटर में पकड़ लिया। उसके कंधे पे हाथ रखा और उससे बोला...

आपसे एक रिक्वेस्ट है।

वो थोड़ा आश्चर्य में आ गया। यंग आदमी था, शरीफ तो देख के हीं लग रहा था।

क्या....थोड़ा नर्वस आवाज़ में बोला।

मैं उस अंडरगार्मेंट्स वाले दूकान का मालिक हूँ। मेरी खुद की भी फैक्ट्री है। हमलोग सप्लाई करते हैं ब्रांडेड कंपनियों को अपना माल। वो फिर स्टीकर लगा के बेचते हैं। एक नयी डिज़ाइनर सीरीज बनायी है हमने, उसके साथ हम खुद का ब्रांड लांच कर रहें हैं। लोकल मॉडल लिया था लेकिन उसको कल हीं चिकेनपॉक्स हो गया। आपका चेहरा बड़ा भोला भाला शरीफ टाइप है...

अरे नहीं सर मैं आपको मॉडल टाइप दीखता हूँ। और वो भी अंडरगार्मेंट्स की मॉडलिंग!!!

नहीं आप समझे नहीं। आपको वो नहीं पहनना है। आप तो फुल ड्रेस में होंगे। हमलोगों ने तो मिडिल क्लास हाउसवाइव्स के लिए बनाया है। आपको तो बस देखना है। और वैसे भी ये तो बांग्लादेश के लिए बनाया है। यहाँ के तो लोग देखेंगे भी नहीं।

बुरा मत मानिये सर पर आपका बड़ा परफेक्ट मिडिल क्लास वाला लुक है। और आपको हमलोग ऑन द स्पॉट 75000 कैश में दे देंगे। डेडलाइन की बात है, फोटोग्राफर बॉम्बे से बुलाया है। उसकी आज रात 8 बजे की फ्लाइट है।

अब वो थोड़ा रुका...

अच्छा आप एक बार शूट करके देख लीजिये। अगर पसंद नहीं आये तो मत करना।

मुझे अंडरगार्मेंट्स नहीं पहनने हैं !!

नहीं नहीं सर वो तो दो लड़कियां हैं, वो भी बॉम्बे से हीं हैं। वो पहनेंगी अंडरगार्मेंट्स। आपको तो बस उन्हें अंडरगार्मेंट्स पहने हुए देखना है।

आइये ना बॉस प्लीज...

कितना टाइम लगेगा।

हार्डली एक घंटा।

फोटो इंडिया में नहीं छपेगा।

नहीं सर बांग्लादेश के लिए है।

वो हिचक रहा था अभी भी।

आइये चलिये ना।

और वो चल पड़ा। एस्केलेटर के दाहिने तरफ हीं दूकान थी। झट से पंहूँच गए। दुकानदार बाहर हीं देख रहा था। मैंने बाहर थोड़े दूर से हीं हाथ मिलाया। उसने भी मुस्कुराते हुए वेलकम करने टाइप से हाथ हिलाया। दुकान के ठीक दरवाज़े पे मैंने बोला...

मैं जरा नीचे से कुछ इक्विपमेंट्स ले के आता हूँ आप अंदर चलिये। और आपका नाम क्या हुआ...

उसने कहा...

हरिहर दुबे।

मैंने उसे गले से लगा लिया और कहा...

दुबे जी थैंक्यू, थैंक्यू वैरी मच !! यू रियली सेव्ड अस!!

और उधर दुकानदार को धीरे से आँख मार दी।

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